गाजीपुर। रामनवमी के पावन पर्व पर जनपद के राम मन्दिरों व अन्य धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की दिनभर भीड़ रही है. इसी पावन मौके पर जनपद के सुधी समाजसेवी व प्रबुद्धजनों के सहयोग से लंका मैदान में स्थित रामजानकी मन्दिर परिसर में महर्षि विश्वामित्र की मनमोहिनी प्रतिमा स्थापित की गयी. इस दौरान विभिन्न मुहल्लों से सैकड़ो महिलाएं व भक्त मौजूद रहे. विधि विधान के साथ परिसर में स्थापित की गयी प्रतिमा से धर्मावलम्बियों में काफी उत्साह है.
बता दें कि जिले का नाम महाराज गाधि के नाम पर ही रखा गया था और प्राचीन काल से जनपद में महाराजा राम के आवागमन व किये गये तमाम कार्यो की निशानियॉ भी जिले में मिलती है. जब त्रेता युग में महर्षि विश्वामित्र राक्षसों के अत्याचार से व्यथित साधुओं व धर्म की रक्षा करने के लिये जब राम व लक्ष्मण को महाराजा दशरथ से मांगकर लाये थे उसी समय जनपद से सटी बिहार की सीमा बक्सर में दोनों राजकुमारों ने ताड़का का वध किया था. जनपद पहुंचने के बाद राम व लक्ष्मण मौजूदा शहर के चीतनाथ इलाके में स्थित बाबा कीनाराम की तपोस्थली बौड़हिया सिद्धपीठ में रूके थे जो आजकल अघोर पंथ का एक प्रमुख तीर्थ माना जाता हैं. तभी से महर्षि विश्वामित्र का जनपद में तमाम निशान मिलते थे.
जनपद के समाजसेवी प्रबुद्ध जन व धर्मायियों ने जब समझा कि इस जिले में महर्षि विश्वामित्र की तमाम निशानिया है और रामनवमी का त्योहार भी नजदीक है. इसी दिन प्रभु श्रीराम का जन्म हुआ था और संयोग से जनपद के लंका मैदान परिसर में रामजानकी का मन्दिर भी स्थित है. लोगो ने इसी बात को ध्यान रखते हुए परिसर में महर्षि विश्वामित्र की मनमोहिनी प्रतिमा लगाने का निर्णय लिया जिसके मन्दिर व नींव परिसर का कार्य लगातार चल रहा था जो पूरा हो चुका है और गायत्री परिवार की तरफ से पहुंचे ब्राहमणों के दल ने प्रतिमा की पूर्ण प्राण प्रतिष्ठा विधि विधान के साथ मन्दिर परिसर में किया है. रामनवमी के दिन राम जन्म से पहले गुरू विश्वामित्र की प्रतिमा स्थापित कर भक्तों व धर्मायियों के लिये काफी खुशी का दिन रहा. मन्दिर परिसर में विशाल भण्डारे का भी आयोजन किया गया है. प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मुख्य जजमान व शहर के सभ्रान्त व्यक्ति लल्लन सिंह रहे.
प्रतिमा स्थापना व निर्माण के साथ-साथ समस्त आर्थिक सहयोग शहर के प्रमुख व्यवसायी व भारत ट्रान्सपोर्ट के मालिक संजय सिंह ने किया जो अति सराहनीय है. संजय सिंह ने बताया कि नवरात्र व्रत व कुछ व्यवस्थता के चलते मौके पर नही पहुंच पाया लेकिन जनपद वासियों की जो इच्छा थी उसे पूरा कर महर्षि विश्वामित्र को लोगो के बीच स्थापित करने से मेरा पूरा परिवार व शुभचिंतक भी गौरवान्वित है.