गाजीपुर। बिरनो क्षेत्र के जयरामपुर बिठौरा गांव निवासी अनिल यादव का जीवन संघर्ष, साहस और आत्मविश्वास की मिसाल है। बचपन में पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभालते हुए 1999 में उन्होंने एक दुर्घटना में अपने दोनों हाथ गंवा दिए। इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और कठिन परिस्थितियों को पीछे छोड़ते हुए अपनी दिव्यांगता को अपनी ताकत बना लिया।
दिव्यांगता को नहीं बनने दिया बाधा-
दोनों हाथ कटने के बावजूद अनिल ने अपनी पढ़ाई पूरी की। उन्होंने दोनों हथेलियों में कलम फंसाकर हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, डबल एमए (हिंदी और भूगोल), बीटीसी, कंप्यूटर डिप्लोमा और हिंदी टंकण में निपुणता हासिल की। उनकी इच्छाशक्ति का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे साइकिल, मोटरसाइकिल और चारपहिया वाहन भी चलाते हैं।
राजनीति और समाजसेवा में सक्रिय भूमिका-
अनिल यादव ने न केवल अपनी शिक्षा में उत्कृष्टता हासिल की, बल्कि समाजसेवा और राजनीति में भी उल्लेखनीय योगदान दिया।
2010-2015: गाजीपुर के बिरनो से जिला पंचायत सदस्य रहे।
2009: समाजवादी छात्रसभा के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य नामित हुए।
2019: समाजवादी युवजन सभा के राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य बने।
वर्तमान में समाजवादी डिजिटल फोर्स के जिला अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं।
सम्मान और प्रेरणा
उनकी उपलब्धियों के लिए उन्हें कई बार सम्मानित किया गया।
2007 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने राज्यस्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया।
2018 में दिल्ली में मुलायम सिंह यादव ने सम्मानित किया।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी उनकी प्रशंसा की और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
अनिल यादव ने साइकिल चलाकर गाजीपुर से दिल्ली तक का सफर कर दिव्यांगजनों के प्रति जागरूकता फैलाई।
युवाओं और समाज के लिए प्रेरणास्रोत
अनिल यादव का जीवन इस बात का प्रमाण है कि कठिन परिस्थितियां भी किसी के सपनों को रोक नहीं सकतीं। उन्होंने समाज और राजनीति में अपनी काबिलियत साबित करते हुए दिव्यांगजनों के लिए प्रेरणा का काम किया है।
विश्व दिव्यांग दिवस पर अनिल यादव की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्ची दृढ़ता और आत्मविश्वास के साथ हर मुश्किल को पार किया जा सकता है।