गाजीपुर। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत गरीब परिवारों को मुफ्त इलाज की सुविधा देने का दावा भले ही सरकार करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। इसका ताजा उदाहरण गाजीपुर स्थित एम.वी.ए.एस मेडिकल कॉलेज में देखने को मिला, जहां एक मरीज और उसके परिजनों को इलाज के लिए पूरे दिन परेशान किया गया और अंततः उन्हें बिना इलाज के ही लौटना पड़ा।
घटना का विवरण:
आनंद प्रकाश तिवारी नामक व्यक्ति अपनी बीमार मां को लेकर 12 दिसंबर को सुबह 8:29 बजे गाजीपुर के एम.वी.ए.एस मेडिकल कॉलेज पहुंचे। डॉक्टर कृष्णा यादव ने प्रारंभिक जांच के बाद ऑपरेशन की सलाह दी। लेकिन जैसे ही परिजनों ने आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज की बात कही, डॉक्टर और अन्य स्टाफ का व्यवहार अचानक बदल गया।
डॉक्टर ने मरीज को भर्ती तो कर लिया लेकिन फाइल अधूरी छोड़ दी। आयुष्मान कार्ड एक्टिवेट करने के लिए गुड्डू नामक कर्मचारी को संपर्क करने के लिए कहा गया। गुड्डू ने लगातार समय टालते हुए मरीज को इधर-उधर भटकाया। दोपहर में कर्मचारी गरिमा सिंह को यह कार्य सौंपा गया, लेकिन उन्होंने अपने निजी कारणों का हवाला देते हुए रजिस्ट्रेशन करने से इनकार कर दिया।
परिजनों को मिली धमकी:
काफी मशक्कत के बाद शाम 6 बजे किसी तरह रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी हुई, लेकिन मरीज की फाइल अपूर्ण बताकर डॉक्टर ने आगे इलाज करने से मना कर दिया। स्टाफ ने परिजनों को निजी अस्पताल में संपर्क करने का सुझाव दिया। निजी अस्पताल जाने पर भी डॉक्टर ने सहयोग नहीं किया और सुबह 7 बजे क्लिनिक पर मिलने का समय दिया।
अगले दिन सुबह से लेकर दोपहर तक परिजन डॉक्टर और उनके जूनियर स्टाफ का इंतजार करते रहे, लेकिन कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई। जब परिजनों ने डॉक्टर से संपर्क किया तो उन्होंने इलाज में हो रही देरी के लिए आयुष्मान योजना के भुगतान लंबित होने का हवाला दिया।
डॉक्टर ने दी धमकी:
परिजनों का आरोप है कि जब उन्होंने प्रक्रिया में तेजी लाने की बात कही तो डॉक्टर ने धमकी दी कि “नेतागिरी मत करो, वरना मरीज को अस्पताल से बाहर फेंकवा देंगे।” डर के मारे परिजनों ने मरीज को बिना इलाज कराए ही घर वापस ले जाने का फैसला किया।
आवेदन और न्याय की मांग:
आनंद तिवारी ने इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन और डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने प्रशासन से सीसीटीवी फुटेज और कॉल रिकॉर्ड की जांच कराने की अपील की है ताकि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।
सरकारी योजनाओं पर सवाल:
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आयुष्मान योजना का लाभ जरूरतमंदों तक न पहुंचने की यह घटना न केवल चिकित्सा तंत्र की खामियों को उजागर करती है, बल्कि गरीबों के साथ हो रहे अन्याय की ओर भी ध्यान दिलाती है।
प्रशासन का रुख:
प्रशासन ने इस मामले पर जांच का आश्वासन दिया है। जिलाधिकारी ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में लापरवाही बरतने वाले डॉक्टर और कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
निष्कर्ष:
यह घटना सरकारी अस्पतालों में व्याप्त भ्रष्टाचार और गैर-जिम्मेदार रवैये की एक कड़वी सच्चाई को सामने लाती है। जरूरत है कि प्रशासन इस पर गंभीरता से ध्यान देकर ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।