गाजीपुर: एसडीएम के चर्चित बाबू पर भ्रष्टाचार का आरोप, पीड़ित ने मुख्यमंत्री से की शिकायत

हाईकोर्ट के अधिवक्ता ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर एसडीएम के चर्चित बाबू एवं हल्का लेखपाल पर कार्रवाई का किया मांग
गाजीपुर। एक तरफ योगी सरकार जीरो टॉलरेंस नीति की बात करती है वहीं दूसरे तरफ उनके अधीनस्थ इस नीति को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। एक ऐसा ही भ्रष्टाचार का मामला जखनियां तहसील से सामने आ रहा है जहां एसडीएम का चर्चित बाबू और हल्का लेखपाल पर भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लग रहा है। पीड़ित ने मुख्यमंत्री से शिकायत कर कार्रवाई की मांग किया है।
दरअसल उच्च न्यायालय इलाहाबाद के अधिवक्ता दीपक कुमार पाण्डेय ने मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र में बताया कि अपने पत्नी के नाम से हैसियत प्रमाण पत्र बनवाने हेतु बीते 5 नवंबर को आवेदन किया था। जो गाजीपुर जिलाधिकारी सचिवालय में सभी प्रपत्र लगाकर जमा किया गया था। सभी संलग्नक लगे होने और सही होने पर यहां से तहसील जखनियां में तथा तहसील सदर में भेजा गया। गाजीपुर तहसील के हल्का लेखपाल के द्वारा पंद्रह सौ रूपए और जखनियां तहसील के हल्का लेखपाल के द्वारा पांच हजार रुपए की मांग की गई। मेरे द्वारा न दिए जाने पर हल्का लेखपाल द्वारा उसमें का कागज निकाल लिया गया और रिपोर्ट लगाया गया कि इंतखाफ खतौनी नहीं दिया गया है। तत्पश्चात उपजिलाधिकारी जखनियां के यहां भेज दिया गया। फिर एसडीएम रविश गुप्ता के बाबू सुमंत द्वारा फोन करके कहा गया कि आकर मिल लीजिए। मैंने अपने साथी अधिवक्ता सोनू भारद्वाज को एसडीएम के बाबू से मिलने के लिए कहा। एसडीएम के बाबू के द्वारा फाईल यहां से आगे बढ़ाने की एवज में पांच हजार का डिमांड किया गया उनके द्वारा कहा गया कि यहां का यह इंटरनल नियम है, क्योंकि एसडीएम साहब लेते हैं तब यह पेपर जिला पर भेजा जाता है। अधिवक्ता की बात कहने पर बाबू द्वारा एक हजार कम किया गया। उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मेरे द्वारा चार हजार रूपए एसडीएम के बाबू को भेजवाया गया तब जाकर पत्रावली जिला सचिवालय भेजी गई। लेकिन पत्रावली में कुछ अलग ही लिखा लेखपाल द्वारा रिपोर्ट लगाया गया कि खतौनी नहीं लगी है जरा अब आप भी सोचिए भ्रष्टाचार इस कदर है कि चार महिना लग गया पत्रावली को जखनियां तहसील से गाजीपुर सचिवालय आने में, जबकि सरकार द्वारा इसके निस्तारण की अधिकतम समय सीमा एक माह है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद यह लोग भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त है। उन्होंने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि जब एक अधिवक्ता के साथ यह हालत है तो आम जनता के साथ क्या यह लोग क्या करते होंगे, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से जांच बैठाकर संबंधित के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
इस संबंध में उपजिलाधिकारी जखनियां के सीयूजी नंबर 9454417079 पर संपर्क किया गया एक बार उनके द्वारा फोन नहीं उठाया गया वहीं कुछ देर बाद संपर्क करने पर एसडीएम द्वारा कहा गया कि थोड़ी देर बाद बात कीजिए, बारह बजे बात कीजिए। अब जरा आप भी सोचिए अगर कोई बड़े साहब से बात करना चाहें तो साहब द्वारा कैसे टाल दिया जाता हैं।