गाजीपुर न्यूज़

करंडा: अबोध बच्‍ची के साथ रेप करने वाले आरोपी अशोक सिंह उर्फ बिल्ला को कार्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा


करंडा। पुलिस महानिदेशक उ०प्र० लखनऊ द्वारा चलाये जा रहे अभियान “OPERATION CONVICTION” के अन्तर्गत मॉनिटरिंग सेल व अभियोजन द्वारा की गयी लगातार प्रभावी पैरवी के फलस्वरूप ढ़ाई वर्ष की बच्ची के साथ बलात्कार कारित करने के मुकदमें अभियुक्त अशोक सिंह उर्फ बिल्ला पुत्र स्व० जगदीश सिंह निवासी गोसन्देपुर थाना करण्डा जनपद गाजीपुर को मा० न्यायालय विशेष न्यायाधीस पाक्सो कोर्ट जनपद गाजीपुर द्वारा करीब 02 माह 19 दिन की अवधि मे विचारण पूर्ण करते हुये अभियुक्त उपरोक्त को धारा 5M/6 पॉक्सो एक्ट मे सश्रम आजीवन कारावास व 40,000/-रूपये के अर्थदण्ड़ से दण्डित किया गया। ‘प्रश्नगत मुकदमे मे दिनांक 27.7.2024 को समय 15.00 बजे अभियुक्त अशोक सिंह उर्फ बिल्ला द्वारा वादी मुकदमा राम यादव की ढाई वर्षीय पुत्री के साथ बलात्कार जैसी जघन्य अपराध कारित किया गया। वादी मुकदमा के लिखित तहरीर के आधार पर अभियुक्त उपरोक्त के विरुध्द मु0अ0सं0-94/24 धारा 65 (2) बीएनएस व 5M/6 पाक्सो एक्ट में पंजीकृत किया गया विवेचनोपरान्त संकलित साक्ष्यों के आधार पर निरीक्षक थाना करण्डा बिन्द कुमार द्वारा उक्त धाराओं मे आरोप पत्र अल्प अवधि में माननीय न्यायालय प्रेषित किया गया, जहाँ माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 01.10.2024 को आरोप पत्र पर संज्ञान लिया गया तथा दिनांक 07.10.2024 को अभियुक्त उपरोक्त के विरुध्द आरोप विचारित किया गया। पुलिस अधीक्षक महोदय जनपद गाजीपुर डा० ईरज राजा के कुशल निर्देशन अपर पुलिस अधीक्षक नगर ज्ञानेन्द्र प्रसाद, क्षेत्राधिकारी नगर सुधाकर पाण्डेय के कुशल पर्वेक्षण एवं विचारण के दौरान संयुक्त निदेशक अभियोजन जनपद गाजीपुर आन्नद कुमार पाण्डेय तथा विशेष न्यायालय पाक्सो कोर्ट में कार्यरत विशेष लोक अभियोजक रवि कान्त पाण्डेय के द्वारा मुकदमे के शीघ्र निस्तारण हेतु अत्यधिक प्रयास के फलस्वरूप मात्र दो पहीने उन्नीस दिन मे अभियुक्त उपरोक्त को इस जघन्य अपराध के लिये सश्रम आजीवन कारावास व 40,000/-रूपये के अर्थदण्ड़ से दण्डित किया गया। विचारण के दौरान कुल 08 साक्षियों को परिक्षित कराया गया तथा अभियुक्त को सजा दिलाये जाने हेतु पुलिस अधीक्षक महोदय गाजीपुर के प्रभावी प्रयासों मे अभियुक्त के डीएनए रिपोर्ट को अल्पावधि मे विधि विज्ञान प्रयोगशाला से मगवाया गया जो की प्रश्नगत अभियोग मे सजा कराये जाने हेतु एक पुष्टीकारक साक्ष्य के रूप में उपयोगी साबित हुआ ।

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