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गाजीपुर: अपने जीवन में आए अंधकार को दूर करने के लिए अपना दीपक खुद बनना होगा: प्रो. अनिता



गाजीपुर। अपने जीवन में आए अंधकार को दूर करने के लिए अपना दीपक खुद बनना होगा। बुद्ध का यह प्रत्येक व्यक्ति को कर्मशील बनाता है। बुद्ध आज विश्व की जरूरत हैं। यह बात शनिवार को राजकीय महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित त्रैमासिक पत्रिका साखी के 40 वें अंक ‘ बुद्ध की धरती पर कविता ‘ के लोकार्पण के अवसर पर प्रो अनीता कुमारी ने कही। इस अवसर पर प्रख्यात कवि प्रमोद कुमार अनंग , हिंदी विभाग की अध्यक्ष डॉ. संगीता मौर्य, कवि दिलीप दीपक, कथाकार शशि कला जायसवाल, अँग्रेजी साहित्य के विद्वान डॉ रामनाथ केसरवानी, मीडिया प्रभारी डॉ शिव कुमार, नेहा कुमारी एवं निरंजन कुमार यादव ने पत्रिका का लोकार्पण किया।
इस मौके पर इस अंक में प्रकाशित अपनी पसंद की कविताओं का पाठ उपस्थित लोगों ने क्रमशः किया। गगन गिल की कविता ‘अंधेरे में निकलते हैं बुद्ध’ का पाठ संगीता मौर्य ने किया और पत्रिका के संपादक सदानंद शाही की कविता ‘जहां मैं चलता हूं वहां बुद्ध के चरणों के छाप हैं ‘ का पाठ शशि कला ने किया। नेहा कुमारी ने बुद्ध एक विचार हैं तथा ओम शिवानी ने पंकज चतुर्वेदी की कविता ‘ बुद्ध युद्ध के विलोम हैं का सुंदर पाठ किया।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रामनाथ केसरवानी जी ने कहा कि यह पत्रिका संग्रहणीय है। इसमें बुद्ध की एक रेंज दिखती है। इसमें अँग्रेजी कवि की कविता लाईट ऑफ एशिया का अनुवाद भी है और कई लेख हैं जिसे पढ़कर एक नई दृष्टि बनती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रमोद कुमार अनंग ने कहा कि मुक्ति की खोज खुद के भीतर सम्पन्न होती है। यह खोज ही बुद्ध को पाना है। शाही जी इस दिशा में बहुत महत्त्वपूर्ण काम कर रहे हैं। बुद्ध भारतीय विचार हैं। इन्होंने चरथ भिक्खवे यात्रा की सराहना करते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक यात्रा थी जिसमें गाजीपुर से दिलीप दीपक और निरं जन जी जुड़े थे। इसके आगामी यात्राओं से हम लोगों को भी जुड़ना चाहिए। डॉ शिव कुमार ने कहा कि ‘ बुद्ध की धरती पर कविता ‘ और ‘ चरथ भिक्खवे ‘ एक ऐसा सामाजिक सांस्कृतिक अभियान है जो हमें हजारों साल की मानव सभ्यता की यात्रा में प्राप्त वृहत्तर मानवीय मूल्यों से जोड़ता है ।
कार्यक्रम संयोजक डॉ निरंजन कुमार यादव ने स्वागत वक्तव्य देते हुए बताया कि कुशीनगर का मूल निवासी होने के नाते एक बात मुझे हमेशा हैरत में डालती रही है कि महात्मा बुद्ध की परिनिर्वाण स्थली जहाँ दुनिया भर के लोग सिर झुकाने आते हैं, उसके महत्व के प्रति हम वहाँ के रहवासी बिल्कुल अनजान हैं। कुशीनगर हमारे लिए पर्यटन, व्यवसाय और रोजी रोजगार तो है पर दैनन्दिन जीवन में प्रेरणा भूमि कभी नहीं बना। जो संदेश महात्मा बुद्ध ने दिया था वह न तो हमारे जीवन में है और न ही हमारे चिंतन-मनन में। इस दिशा में यह पत्रिका बहुत मददगार है। इसमें बुद्ध पर केन्द्रित कविताओं का प्रकाशन किया गया है। इसमें देश भर के 80 कवियों की कविता शामिल हैं। कार्यक्रम का संचालन संगीता मौर्य ने ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ शशिकला जायसवाल ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय परिवार के सदस्य और छात्राएं उपस्थित रहे।

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