Ghazipur: प्रमुख सचिव के फर्जी पत्र से समाज कल्याण विभाग के प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों के नियुक्ति के नाम पर की जा रही है धनउगाही
गाजीपुर। जिला समाज कल्याण अधिकारी राम नगीना यादव ने बताया की अराजकतत्वों द्वारा प्रमुख सचिव, समाज कल्याण, उ०प्र० लखनऊ, समाज कल्याण के नाम से फर्जी पत्र आदेश दिनांक 16-03-2024 तैयार कर निजी प्रबन्धतंत्र द्वारा संचालित एवं समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुदानित प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति एवं नये विद्यालयों को अनुदान पर लाने के नाम पर धनउगाही/ठगी की जा रही है। उन्होंने सर्वसाधारण को सूचित किया है कि उक्त पत्र के आदेश दिनांक 16-03-2024 प्रमुख सचिव, समाज कल्याण, उ०प्र० लखनऊ द्वारा निर्गत नहीं किया गया है अर्थात यह पत्र पूर्णतया फर्जी है।अवगत कराना है कि निजी प्रबन्धतंत्र द्वारा संचालित बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त नये प्राइमरी विद्यालयों को आवर्तक अनुदान सूची में सम्मिलित किये जाने की नीति / व्यवस्था शासनादेश संख्या- 2547/26-2-2006 दिनांक 05-10-2006 द्वारा समाप्त कर दी गयी है। उक्त के अतिरिक्त शासनादेश संख्या- 1316 (6)/26-3-2012 दिनांक 23-05-2012 द्वारा निजी प्रबन्धतंत्र द्वारा संचालित तथा बेसिक शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों को एकमुश्त आर्थिक सहायता योजना (अनावर्तक अनुदान) की नीति / व्यवस्था को समाज कल्याण विभाग द्वारा समाप्त कर दिया गया है। अनु सचिव, उ०प्र० शासन लखनऊ, समाज कल्याण विभाग अनुभाग- 2 से निर्गत शासनादेश संख्या- 205/26-2-2022-1(1)/2022 दिनांक 11 मई, 2022 द्वारा स्पष्ट किया गया है कि सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण के उपरान्त समाज कल्याण के इन प्राथमिक विद्यालयों की उपादेयता ही समाप्त हो चुकी है, क्योंकि प्राथमिक शिक्षा हेतु नोडल विभाग “बेसिक शिक्षा विभाग” द्वारा प्रति 1-1.5 किमी पर विद्यालय स्थापित कर दिए गये हैं। साथ ही उक्त शासनादेश दिनांक 11 मई, 2022 द्वारा समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुदानित प्राथमिक विद्यालयों में नए शिक्षकों के चयन, नियुक्ति एवं वित्तीय अनुमोदन पर एतद्वारा रोक लगाई गयी है। अतः स्पष्ट करना है कि समाज कल्याण विभाग द्वारा नये विद्यालयों को अनुदान पर लाने एवं नये शिक्षकों के चयन / नियुक्ति हेतु कोई भी शासनादेश / पत्र शासन अथवा निदेशालय स्तर से निर्गत नहीं किया गया है। जनहित में स्पष्ट करना है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार के प्रलोभन में न आये। प्रकरण में नियमानुसार सुसंगत धाराओं में अभियोग पंजीकृत कराते हुए दण्डात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।