उगाही टारगेट: एक करोड़ रुपये, निर्देशक अफसर- बीएसए हेमंत राव, समय- एक महीना, जिला- ग़ाजीपुर!
(संवाद सूत्र)
यूपी में भ्रष्टाचार किस विभाग में चरम पर नहीं है, यह यक्ष प्रश्न है जिसका तुरंत जवाब दे पाना किसी के लिए भी मुश्किल होगा. बिजली विभाग तो गजब ही भ्रष्ट है. उपर से लेकर नीचे तक लुटेरे बैठे हैं. स्वास्थ्य विभाग का हाल किसी से छुपा नहीं है. झांसी वाला बच्चा कांड सबके सामने है. पुलिस और राजस्व विभाग के क्या कहने. जितना कहो उतना ही कम. पर जो कम भ्रष्ट और शांत विभाग माने जाते हैं, वहां भी भ्रष्टाचार का परनाला बह रहा है. बेसिक शिक्षा विभाग में प्रदेश के एक सीमावर्ती और उपेक्षित जिले का हाल जानकर आप पूरे प्रदेश में होने वाले भ्रष्टाचार का अंदाजा लगा सकते हैं. इस विभाग में उगाही के लिए एकमात्र शिकार बनते हैं शिक्षक.
जिला गाजीपुर में जिला स्तरीय खेलकूद कराने के लिए शासन से पैसा आया है लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी हेमंत राव अपने गुर्गों के जरिए पूरे जिले में मास्टरों के बीच उगाही अभियान चलवाए हुए हैं. सूत्र बताते हैं कि एक करोड़ रुपये का टारगेट है. इसमें आराम से पचास साठ लाख रुपये अफसर बचाकर उपर नीचे आपस में बांटकर पी जाते हैं.
गाजीपुर जिले के किसी भी प्राइमरी और मिडिल स्कूल के शिक्षक से पूछ लीजिए. वे बताएंगे कि उन्हें इस महीने खेलकूद के नाम पर पांच सौ रुपये देना है. पांच सौ रुपये फिक्स नहीं है. किसी ब्लाक में ये राशि हजार रुपये है तो किसी में पंद्रह सौ. कहीं कहीं पांच सौ रुपये हैं. अनुचरों को भी पांच सौ रुपये देने हैं. अनुचर माने चपरासी.
गाजीपुर जिले में करीब दस हजार शिक्षक हैं. पांच सौ रुपये से पंद्रह सौ रुपये तक प्रति शिक्षक उगाही का अगर एवरेज भी कर दें, हजार रुपये प्रति शिक्षक तो उगाही राशि एक करोड़ रुपये बैठती है. शिक्षकों के वाट्सअप ग्रुपों में बाकायाद लिख लिख कर उगाही की रकम देने की अपील की जा रही है. कुछ स्क्रीनशाट देखें-
सूत्र बताते हैं कि अफसरशाही के चक्रब्यूह में फंसे शिक्षक बेचारे इतने पीड़ित प्रताड़ित होते हैं कि उनकी हिम्मत नहीं कि वे उगाही की राशि देने से मना कर सकें. बेसिक शिक्षा विभाग के जिला के छोटे बड़े अफसरों के उगाही के सहयोगी हाथ भी इन्हीं शिक्षकों में से ही कुछ दलाल किस्म के शिक्षक बन जाते हैं. एक अफसर के यहां कुछ शिक्षक नेता सब्जी छीलते, रोटी पकाते पाए जाते हैं. ऐसे शिक्षक नेताओं से क्या उम्मीद करेंगे जो अफसरों की तेल मालिश से लेकर उनका किचन संभालने तक का काम करते हैं.
सूत्र यह भी बताते हैं कि वहीं जो शिक्षक नेता शिक्षकों की समस्याओं पर लड़भिड़ सकते हैं उनके बीच अफसरों ने फूट डाल रखी है या उन्हें डरा रखा है. पिछले एक बरस में आधा दर्जन शिक्षक नेताओं को विभिन्न कारणों से सस्पेंड किया गया. ये वो शिक्षक नेता हैं जो रीढ़ सीधी रखते हैं और सच को सच की तरह बोल कह देते हैं. तो ऐसे सत्यवादी लोग शिक्षा विभाग के अफसरों को पसंद नहीं. उन्हें तो प्रतिदिन वसूली कराने वाले, तेल-मक्खन लगाने वाले और शिक्षकों की मुखबिरी करने वाले शिक्षक नेता पसंद हैं.
जिला स्तरीय एक करोड़ रुपये महावसूली अभियान को लेकर स्थानीय पोर्टलों-अखबारों में खबरें छपी हैं लेकिन इन खबरों से कोई फरक नहीं पड़ता क्योंकि शिक्षा अफसरों ने बड़े अखबारों और बड़े चैनलों के स्थानीय कर्ताधर्ताओं को सेट कर रखा है. छुटभैये पोर्टलों और छोटे अखबारों पर प्रकाशित खबरों को उतना व्यापक असर नहीं हो पाता. इसलिए वसूली के महाभियान पर कहीं से कोई संकट क्रिएट होता नहीं दिख रहा है
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सूचना मिलने पर स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है, जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके विरुद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही की जाएगी – हेमंत राव, बीएसए गाजीपुर